About Shiv Chalisa
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भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
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महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
जो यह पाठ करे मन लाई । ता पार होत है शम्भु सहाई ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
अर्थ: हे गिरिजा पति हे, दीन हीन पर दया बरसाने वाले click here भगवान शिव आपकी जय हो, आप सदा संतो के प्रतिपालक रहे हैं। आपके मस्तक पर छोटा सा चंद्रमा शोभायमान है, आपने कानों में नागफनी के कुंडल डाल रखें हैं।
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथनाथं सदानन्दभाजम् ।
लिङ्गाष्टकम्
वैसे तो आप शिव चालीसा को किसी भी दिन बोल सकते हैं, लेकिन रविवार, सोमवार तथा बुधवार को भगवान शंकर जी की चालीसा करने का बड़ा महत्व बताया गया.
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥