About Shiv Chalisa
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन